Monday, July 1, 2024

मारिया...(My Hindi Translation of Maria by Parvathy)



This is my Hindi translation of a beautiful write up Maria, written by Parvathy. You can read the original post HERE. She writes beautifully. Here's another translation that I did before. 'माँ, मैं और मसाला चाय'




मारिया,

इक रोज़ मेरी किसी से बात हुई कि दिल टूटने के बाद फिर से किसी पे भरोसा कैसे किया जा सकता है…

ऐसा तो नहीं कि सिर्फ इश्क़ में मिलने वाला दर्द ही दुख देता है?

कई और चीज़ें होती हैं जिससे तक़लीफ़ होती है ―जैसे, किसी जगह को अलविदा कहना।

वो पल जब आखिरकार आपको खुद के और किसी अपने के दरमियान एक लकीर खींचनी पड़ जाती है।

जैसे, ना चाहते हुए भी कहीं दूर चले जाना।





उस चीज़ को पाने की कोशिश करना छोड़ देना जिसे आपने कभी दिल से चाहा था।

कई ग़म होते हैं इस दुनिया में, 

पर मोहब्बत में हम जिस दर्द से मुख़ातिब होते हैं, वो सबसे ज़्यादा चोट पहुंचाता है।


मैं नहीं जानता कि फिर से यक़ीन करना कैसे मुमकिन हो सकता है।

शायद हम भूल जाते हैं कि हमारा दिल एक न एक दिन दुख से उबर ही जाता है।

हम उम्मीद के एक क़तरे को थामे रहते हैं,

तब भी जब लगता है कि सबकुछ ख़त्म हो चुका है, ये सोचकर कि एक दिन चीज़ें बदल जाएंगी।


मुझे लगता है कि हम इस तरह ही जी पाते हैं,

आगे बढ़ने की हिम्मत जुटाते हैं और फिर साँसें लेना नामुमकिन सा नहीं लगता।

मुश्किल से मुश्किल दिनों,

और हताश पलों में भी नहीं।


मेरे ख़्याल से अलविदा कहना,

क्योंकि आपको पता है कि यही सही वक्त है,

बड़े साहस का काम है।

जानते बूझते उसे जाने देना

जो कि शायद कभी आपके दिल का सबसे खूबसूरत हिस्सा था।

आगे बढ़ना, फिर से खिल पाना।


पर मन के धागे का एक छोर छूटा रहेगा कहीं,  इस आस में कि कोई इसे फिर से बांधेगा। दिल का एक खाली कोना हमेशा इस इंतज़ार में होगा कि कोई उस सूनेपन को भर देगा।

या फिर हम ज़िन्दगी ये जानते हुए जिए चले जाएंगे कि मन की नीरवता शायद कभी ना भरे। और ऐसा हो तो कोई बात नहीं, है ना?


हमने कभी टूटकर प्यार किया था,

और किसी ने हमें भी उसी शिद्द्त से चाहा था,

क्या ये काफ़ी नहीं?





पता है,

कल मैंने पहली बार एक गाना सुना,

औरों के लिए पुराना हो शायद, पर मेरे लिए वो गाना नया था।

उसे सुनकर मुझे तुम याद आ गयी।

जाने कितनी छोटी-छोटी, नयी सी बातें हैं

जो मैंने एक बक्से में सहेज कर रखी है।

ताकि जब हम कभी मिलें तो उन्हें तुम्हें दे सकूं।

अक्सर सोचता हूँ,

कि क्या तुम भी ऐसा करती हो।


कसम से, मैं ज़िन्दगी काट नहीं रहा,

जी रहा हूँ।

और मुझे उम्मीद है कि बारिश में

तुम्हारे पैर अब भी थिरकते होंगे।



तुम्हारा,
अमोर


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2 comments:

  1. Your writing/translation is so lyrical Tarang. I shall always be grateful for your blogposts because, far away from my hometown, they keep me connected to my mother tongue and always remind me what a gentle beautiful language it is. If you have recommendations of novels/stories in Hindi I'd love to hear them.

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    1. Thank you so much, Tulika, for this beautiful comment. Your kind words mean a lot. 💛

      You can read Mannu Bhandari: Swami or Aapka Banti, or her short story Yehi Sach Hai (which is available online), the movie Rajnigandha was based on this story. Also, Chaurasi by Satya Vyas (the web series Grahan is based on this novel).

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