Monday, July 12, 2021

प्यार कहीं खो जाता है...



(मेरी पेंटिंग)


आज की पोस्ट, वर्षा कालेलकर (लाइफ़ कोच और लेखिका) द्वारा रचित एक प्यारी सी कविता...


पाने खोने के मुक़ाबले में,

प्यार कहीं खो जाता है।

रिश्तों के बंधन में

साँस घुटती है,

दुनियादारी के बोझ में

प्यार कहीं खो जाता है।


कसमों-वादों के बीच घिसटते हुए,

शर्तों की तंग गलियों से गुज़रते हुए,

आंसुओं के सैलाब में,

प्यार कही खो जाता है।


प्यार एक खुशबू है,

इसे तो उड़ना होता है

खेलने दो इसे हवा के साथ,

वरना ये कहीं खो जाता है।


ये तो खुली धूप में निखरता है,

ज़िंदगी में सावन के रंग बिखेरता है

रहने दो दूर इसे

रस्मो और रिवाज़ों से

नही तो, 

ये प्यार कहीं खो जाता है।



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