Wednesday, September 29, 2021

ग़म, रिश्ते और मानसिक स्वास्थ्य


Written for Blogchatter's Cause A Chatter Initiative.



Image: Anthony Tran, Unsplash


ज़िन्दगी अगर कोई बहुत गहरा घाव दे जाए तो न सिर्फ ज़िन्दगी बल्कि इंसान भी बदल जाता है। और कभी-कभी रिश्ते भी।


कुछ ग़म ऐसे होते हैं जो ज़िन्दगी भर पीछा करते हैं और अपने आप को संभालने का सबका अपना तरीका होता है। और मेरे ख़्याल से हर तरीका सही ही होता है चाहे वो कितना ही मुख्त़लिफ़ क्यों न हो। किसी को अकेलापन काटने को दौड़ता है तो किसी को उसी अकेलेपन में सुकून मिलता है। कोई एक अपनी परेशानी ज़ाहिर कर देता है तो कोई व्यक्त नहीं कर पाता या व्यक्त नहीं करना चाहता।


क्या हो अगर एक घर में दो लोग हों, एक ही ग़म से जूझते हुए पर दोनों के अपने ग़मों को संभालने के तरीक़े मुख़्तलिफ़ हों? हो सकता है कि वो एक ही छत के नीचे अलग-थलग ज़िन्दगी गुज़ारने लगें क्योंकि बाज़ दफ़ा अपने ग़मों के बोझ तले दबकर हम दूसरों की मनःस्थिति समझने में नाकामयाब होते हैं। फिर होता यूं है कि रिश्तों में ग़लतफ़हमियां और दूरियां घर कर लेती हैं।


समझने की कोशिश करें। 

जब आप अपने मानसिक द्वंद में उलझे हों, तो दूसरों को समझना कभी-कभी थोड़ा मुश्किल हो जाता है। पर अगर एक रिश्ता आपके लिए मायने रखता है तो उस रिश्ते को संभालना उतना ही ज़रूरी होता है जितना अपने आप को। समझने की कोशिश करनी होती है, तब भी जब आप नहीं समझ सकते। जो आपके करीब है उसे अकेला नहीं छोड़ सकते। ऐसा कैसे हो सकता है कि जिसको आप अपने सबसे करीब समझते हैं उसे समझने की बिल्कुल कोशिश ना करें?

किसी का बात करने से मन हल्का होता है तो सुने।

कभी-कभी बहुत ज़्यादा कुछ नहीं करना होता। जब इंसान मानसिक उलझन में हो तो वो बस ये चाहता है कि उसे कोई सुने, बिना किसी जजमेंट के। हर दफ़ा ज़रूरी नहीं कि आपको कोई राय ही देनी हो या फिर रास्ता ही सुझाना हो। बस सुनना होता है। कभी कभी बस बोलकर मन का बोझ हल्का हो जाता है। कभी-कभी, बस पास रहना होता है। जैसे कि आपको परवाह है। जैसे आप समझ सकते हैं।परवाह और समझ का रिश्ता बहुत प्यारा होता है।


ख़्याल रखें


पर परवाह या कोई भी भावना एकतरफ़ा हो तो ज़्यादा दिनों तक नहीं चलती। आप दोनों एक ही मानसिक पीड़ा या द्वंद से गुज़र रहे हैं। अगर कोई आपको समझता है तो आपको भी कोशिश करनी होगी आप उसे समझें। सुनने में शायद लेन-देन वाला मामला लगे पर भावनाएं आमतौर पर इसी तरह काम करती हैं। अपेक्षा करना इंसानी फ़ितरत है। इसे आप एक दूसरे का ख़्याल रखना भी कह सकते हैं।


बहुत ज़्यादा अपेक्षा ना करें।


कोई रोना चाहता है, रोने दें। कोई रोता नहीं तो इसका मतलब ये नहीं कि वो संवेदनहीन है। और अगर किसी को अकेले रहने से सुकून मिलता है तो अकेला छोड़ दें। हर वक्त कोई आपके पास मौजूद रहे ये ज़रूरी नहीं।

हर रिश्ते में, चाहे वो कितना ही गहरा हो, स्पेस बेहद जरूरी है। और इसका हरगिज़ ये मतलब नहीं कि उस रिश्ते में कोई समस्या है।


अपनी (और अपनों के) शारीरिक और मानसिक सेहत का ख़्याल रखें। सेहत अच्छी ना हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता।






6 comments:

  1. एक दूसरे को समझने की कोशिश की जाए तो परेशानियाँ कम हो जाती हैं। लाभप्रद युक्तियाँ सुझाता आलेख।

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    1. सही कहा आपने। लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया। :)

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  2. so true, space is important in every relationship.
    And yes people need to take care of each other for relationships to work

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