Saturday, December 4, 2010

यथार्थ



जीवन के कुछ यथार्थ,
जो हो नहीं सकते एकाकार.
जैसे प्रकाश और अन्धकार
पतझड़ और बहार
जैसे धरती और आकाश
तृप्ति और प्यास
जैसे बंधन और मुक्ति
विरक्ति और आसक्ति
जैसे शिखर और अधर
कड़वा और मधुर
जैसे सच और झूठ
संतुष्टि और भूख
जैसे अग्नि और जल
आज और कल
जैसे जीत और हार
नफरत और प्यार.

No comments:

Post a Comment