'कभी-कभी दूरी आपको ये एहसास दिलाती है कि आप किसी के कितने करीब आ चुके हैं।'
मैं जब छोटी थी तो मैं सब कुछ बनना चाहती थी। बस वो बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था, जो मैं बन गयी हूँ। राइटर और आर्टिस्ट।
राइटिंग ने मुझे इतना ज़्यादा हैरान नहीं किया था जितना पेंटिंग ने किया।
मैंने शुरुआत हिन्दी कविता और कहानियां लिखने से की थी। मुझे याद है: एक बड़ी सूनी और आलसी सी दोपहर थी जब मैंने एक कविता लिखी थी जो एक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। फिर मैंने एक कहानी लिखी। पर बात नहीं बनी। वो कहानी रिजेक्ट हो गई। फिर उसी कहानी को मैंने इंग्लिश में लिखा तो वो उसी प्रकाशन की एक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आपको जानकर शायद हैरानी हो पर मेरा नॉवल We Will Meet Again भी पहले एक हिन्दी कहानी था।
फिर इंग्लिश में लिखने का सिलसिला चल पड़ा। पर हिन्दी से गहरा रिश्ता है, इट कम्स नैचुरली। :)
कुछ दिनों से मैंने हिन्दी कहानियां लिखना शुरू किया है। बहुत छोटी-छोटी कहानियां हैं मेरे ब्लॉग पर, आप यहां पढ़ सकते हैं, अगर आपको हिन्दी कहानियां पढ़ना पसंद हो। और एक 32 पेज की शॉर्ट स्टोरी है: कुछ अनकहा सा, जो किंडल पर उपलब्ध है।
ये एक अनोखी प्रेम कहानी है: कबीर और आयशा की। जो बरसों से साथ रहकर भी एक दूसरे से बहुत दूर हैं।
'यूं तो कोई नहीं मेरी, पर अब लगने लगा है जैसे बहुत कुछ हैं।'
मुझे खुशी है कि रीडर्स को मेरा ये प्रयास पसंद आ रहा है।
और दिलचस्प बात ये है कि इस कहानी का कवर मैंने पेंट किया है।
क्या आपको हिन्दी कहानियां लिखना पसंद है? अगर हाँ, तो प्लीज़ कमेंट बॉक्स में लिंक शेयर कीजिए। मैं पढ़ना चाहूंगी।
‘This post is a part of Blogchatter Half Marathon.’
Such a beautiful cover!
ReplyDeleteYou are very talented.
Thank you, Purba. I'm so glad you liked it. :)
Deleteआपकी अंग्रेजी के कई कहानियों में प्रेम के साथ हॉरर के तत्व भी रहे हैं। उम्मीद है हिंदी में भी कोई बड़ी कहानी इस विधा में पढने को मिलेगी। आशा है हिंदी से वापिस जुड़ना आपके लिए सुखद होगा।
ReplyDeleteजी, बिल्कुल। शुक्रिया। :)
DeleteI wish I could read this! unfortunately I dont know enough Hindi and there is no google translate here!
ReplyDeleteOh...But that's okay. Thank you for visiting. :)
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