Photo by Brendon Thompson on Unsplash
तुम्हें जी भर कर देखना चाहता हूँ
और चाहता हूँ कि तुम भी कभी
नज़रें मिलाओ।
कुछ ऐसा हो कि तुम भी कुछ कहो,
कभी तुम भी प्यार जताओ।
तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ,
और चाहता हूँ
कि तुम मेरे क़रीब रहो,
इतने करीब कि जब कभी मैं तुम्हें
छू लूँ तो
छिटककर दूर ना हो जाओ।
और ये ना कहो कि
'ये क्या हरकत है?'
*****
जो प्यार तुम्हारी आंखों में है,
और कहीं नहीं।
जो खुशी तुम्हारी मुस्कुराहट में है,
और कहीं नहीं।
जो सुकून इन बाहों के घेरे में है
और कहीं भी तो नहीं।
अब सोचता हूँ,
कैसे रह पाया मैं
इतने बरस,
तुम्हारे इतने पास होकर भी,
तुमसे इतनी दूर।
___तरंग सिन्हा
मेरी हिन्दी कविताएं आम तौर पर उन कहानियों से प्रेरित होतीं हैं जो मेरे ज़ेहन में घूमती रहतीं हैं पर मैं उन्हें एक मुकम्मल कहानी का रूप देने में असमर्थ होती हूँ। मेरी ये रचना ऐसी ही एक कहानी का एक अंश है।
beautiful description of love and intimacy
ReplyDeleteThank you so much, Swati! ☺
Delete