Wednesday, June 16, 2021

सराब...


Image: My painting


तुम्हें ढ़ूंढने की कोशिश में,

दौड़ते भागते फिरे।

थककर रुके जो थोड़ा,

खुद को वहीं पाया

जहाँ तुमने साथ छोड़ा था।


★★★


घर कुछ उदास सा है

जब से तुम हो गए।

जैसे तुम्हारी ही राह तकता हो,

और जब भी मैं लौटता हूँ

इस तन्हा घर में,

मानो ये पूछता हो मुझसे

कि 'उसे लेकर क्यों नहीं आए?'


★★★


वो जो ज़िन्दगी की हक़ीकत था,

दरअसल एक अधूरा ख़्वाब था।

वो जो सबसे करीब था,

एक सराब था...



____तरंग सिन्हा


‘This post is a part of Blogchatter Half Marathon.’ 


8 comments:

  1. There is melancholy, longing and so much beauty in this poem. its as beautiful as your painting.

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  2. खूबसूरत पंक्तियाँ !

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  3. वो जो ज़िन्दगी की हक़ीकत था,
    दरअसल एक अधूरा ख़्वाब था।
    वो जो सबसे करीब था,
    एक सराब था...

    खूबसूरत पंक्तियाँ....तस्वीर भी उतनी ही खूबसूरत है...बधाई...

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  4. Your words and your painting are so beautiful.

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  5. How do you describe so much in such less words

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