Image: My painting
तुम्हें ढ़ूंढने की कोशिश में,
दौड़ते भागते फिरे।
थककर रुके जो थोड़ा,
खुद को वहीं पाया
जहाँ तुमने साथ छोड़ा था।
★★★
घर कुछ उदास सा है
जब से तुम हो गए।
जैसे तुम्हारी ही राह तकता हो,
और जब भी मैं लौटता हूँ
इस तन्हा घर में,
मानो ये पूछता हो मुझसे
कि 'उसे लेकर क्यों नहीं आए?'
★★★
वो जो ज़िन्दगी की हक़ीकत था,
दरअसल एक अधूरा ख़्वाब था।
वो जो सबसे करीब था,
एक सराब था...
____तरंग सिन्हा
‘This post is a part of Blogchatter Half Marathon.’
There is melancholy, longing and so much beauty in this poem. its as beautiful as your painting.
ReplyDeleteThank you so much for your kind words! 💛
Deleteखूबसूरत पंक्तियाँ !
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteवो जो ज़िन्दगी की हक़ीकत था,
ReplyDeleteदरअसल एक अधूरा ख़्वाब था।
वो जो सबसे करीब था,
एक सराब था...
खूबसूरत पंक्तियाँ....तस्वीर भी उतनी ही खूबसूरत है...बधाई...
बहुत शुक्रिया!
DeleteYour words and your painting are so beautiful.
ReplyDeleteHow do you describe so much in such less words
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