Thursday, June 22, 2023

Fear by Khalil Gibran: My Hindi Translation

 



कहते हैं कि समंदर में दाखिल होने से ठीक पहले

एक नदी डर से काँप उठती है।


वो पीछे मुड़कर उस रहगुज़र को देखती है

जिसपर वो चलकर आयी है;

परबत की उन चोटियों से लेकर,

उन टेढ़े मेढ़े रास्तों तक

जो जंगलों और गाँवों से होकर गुज़री थीं।


और सामने है ये अथाह सागर

जिसमें समा जाना कुछ और नहीं

बस हमेशा के लिए खो जाना है।


पर अब कोई रास्ता नहीं।

नदी वापस मुड़कर तो नहीं जा सकती...


कोई वापस नहीं जा सकता।

वापस मुड़ना नामुमकिन होता है।


नदी को समंदर में दाखिल होने का

जोखिम उठाना ही होगा।

क्योंकि तब जाकर उसका डर खत्म होगा;

क्योंकि तब ही वो ये जान पाएगी

कि ये समंदर में मिलकर खो जाना नहीं है,

बल्कि खुद समंदर हो जाना है। 


2 comments:

  1. Beautiful lines, translated equally beautifully.

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    1. Thank you so much for reading and for your kind words. :)

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