Wednesday, December 8, 2010

आदत


प्यार में वो तपिश,
आँखों में वो खुमारी  न रही.
चाहते हैं अब भी तुम्ही को,
पर दिल में वो बेकरारी न रही.
कमी नहीं है वफाओं में,
माँगा है सिर्फ तुम्हें दुआओं में.
पर प्यार में वो शिद्दत बाक़ी न रही
दिल के टुकड़े बिखेर दिए तुमने
समेटें कब तक
हर सितम तुम्हारे...
सहते आये अब तक
मुस्कुरा कर पी जाएँ आंसू अपने,
ऐसी आदत अब हमारी न रही.

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