अगस्त की सुबह: तरंग सिन्हा
'बात बे बात पे अपनी ही बात कहता है, मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर रहता है। आप सुन रहे हैं यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिसरा, कहानियां जिनमें आप मिलते हैं खुद से...'
हर बार जब मैं यादों का इडियट बॉक्स की ये लाइन सुनती हूँ तो वो मेरे दिल को छू जाती हैं। इस शो
की जाने कितनी कहानियां सुनी हैं मैंने ―कहानियां जिनमें भरे होते हैं ज़िन्दगी के रंग; कहानियां जो आपको अपने साथ लेकर चल पड़ती हैं और जिन्हें सुनते हुए आप पाते हैं सुकून। नीलेश मिसरा जी का कहानी सुनाने का खूबसूरत अंदाज़ इन कहानियों को और खास बनाता है।
मुझे बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मैं अब नीलेश मिसरा जी की मंडली का हिस्सा हूं।
अब इस शो के लिए लिखने का मौका मिला है और ये बात मेरे लिए बहुत मायने रखती है। सबसे खास बात ये है कि मंडली में कहानियों पर चर्चा होती है। कहानियों को सिरे से नकारा नहीं जाता, बल्कि आपको अपनी कहानी के कमज़ोर पहलुओं पर काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है, और इस दरम्यान एक लेखक बहुत कुछ सीखता है। अनुलता जी मंडली की क्रिएटिव हेड हैं। साथ ही एक बेहतरीन, अनुभवी लेखिका हैं। और उनके साथ कहानियों पर चर्चा करना, उनके फ़ीडबैक को समझना, उसको ध्यान में रखकर कहानी पर काम करना एक दिलचस्प अनुभव है और ये प्रक्रिया कहानियों को और निखारती है।
'Friday Challenge Stories' यादों का इडियट बॉक्स का एक खास सेगमेंट है।
शुक्रवार को 92.7 Big FM पर प्रसारित होती हैं Friday Challenge की छः नन्हीं कहानियां। हम सभी मंडली के सदस्यों को एक वाक्य दिया जाता है और हमें उस वाक्य से शुरू करके एक छोटी सी कहानी लिखनी होती है। ये एक प्रतियोगिता है, जिन छः लेखकों की कहानी सबसे अच्छी होती है, उनका चयन होता है। चैलेंजिंग है, पर मज़ेदार है। अब तक मेरी तीन कहानियां सेलेक्ट हुई हैं।
और ये है मेरी पहली यादों का इडियट बॉक्स कहानी ―प्रेम-गीत। :) ये कहानियां यूं तो रेडियो पर प्रसारित होती हैं, पर अगर आप वहाँ ना सुन पाएं, या किसी से साझा करना चाहें, तो सारी कहानियां The Slow App पर मौजूद हैं। और हाँ, आप चाहें तो ऐप के 'Participate' सेक्शन में जाकर अपनी कहानियां सबमिट भी कर सकते हैं।
अब तक मेरी दो लम्बी कहानियां आयी हैं। आशा है आगे भी आएंगी। आप सुनिए, जब भी वक्त मिले, और मुझे जरूर बताईयेगा कि कैसी लगी।
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